अंजना रावत को 272 वोट मिले।अंजना की जिंदगी कठिनाई भरी रही है। 2011 में अंजना के सर से पिता का साया उठ गया। जिसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी 18 साल की अंजना के कंधों पर आ गई। अंजना श्रीनगर में पंजाब नेशनल बैंक के पास एक चाय की दुकान चलाती हैं। पिता की मौत के बाद से अंजना इसी चाय की दुकान से अपने परिवार का भरण-पोषण करती आ रही हैं। अंजना ने चाय की दुकान के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।अंजना ने पहले बीए किया। उसके बाद एमए सोशियोलॉजी से किया। इस दौरान अंजना को समाज के कई प्रकार के ताने तक सुनने पड़े। फिर भी अंजना ने कभी हार नहीं मानी। अंजना इसी चाय की दुकान से अपनी मां, अपने भाई और अपनी एक बहन का भरण-पोषण करती आ रही हैं। वहीं, उसने अपने भाई की पढ़ाई का खर्च और बहन की शादी भी इसी चाय की दुकान चलाकर की। नगर निगम श्रीनगर के पहले चुनाव में वह पार्षद पद पर विजयी हुई हैं।


2022 तीलू रौतेली सम्मान से सम्मानित हो चुकी अंजना
अंजना के संघर्ष को सराहते हुए राज्य सरकार उसे 2022 में राज्य के श्रेष्ठ पुरस्कार तीलू रौतेली से सम्मानित कर चुकी है। श्रीनगर गढ़वाल में चाय-चस्का नाम से दुकान चलाने वाली अंजना पार्षद बन गई हैं, कठिन परिस्थितियों में स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाने वाली राज्य में चर्चाओं में है। हर चौक-चौराहों और चाय की टपरी पर चाय वाली की तारीफ हो रही है।