उत्तराखंड में 12 जिलों में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है पंचायत चुनाव का ऐलान होते ही शहरों से युवा प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य बनने के लिए गांव पहुंच रहे हैं। बात अगर इन युवाओं की करें तो ये वो ही युवा हैं जो गांव में मूल भूत सुविधा नहीं होने के कारण गांव से पलायन कर गए। अब ये गांव का प्रतिनिधि बन कर गांव में मूल भूत सुविधा के लिए संघर्ष कर गांव में उपलब्ध कराने की बात करते हैं। वहीं कई युवा अपनी राजनितिक विरासत बचाने और आगे बढ़ाने के लिए अपनी राजनितिक शुरूआत कर रहे हैं।
वहीं, देहरादून के राजपुर रोड से विधायक खजान दास के पुत्र नीरज भारती भी अपनी किस्मत राजनितिक में आजमा रहे हैं। उन्होंने जिला पंचायत बिष्टौंसी वार्ड नंबर-15 से चुनाव लड़ने का एलान किया है। नीरज जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी भी कर रहे हैं। बता दें कि उनके पिता खजान दास भी इस जिला पंचायत से सदस्य रह चुके हैं और वे धनोल्टी विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। खजान दास का कहना है उनके विधायक और जिला पंचायत सदस्य रहते हुए जो कार्य और अधूरे रहे थे उनको पूरा करेंगे और बिष्टौंसी जिला पंचायत विकास और मूलभूत सुविधाओं पर काम करेंगे।
पैराशूट प्रत्याशी का होने का लग रहा आरोप
सवाल उठाता है कि नीरज दास भारती किन मुद्दों के साथ जनता के बीच जाएंगे। क्या नीरज अपने पिता श्री के व्यवहार और विधायक रहते कार्यों के साथ जनता के बीच जाएंगे या वे अपने अलग विजन के साथ जनता के बीच जाएंगे। वहीं नीरज के पंचायत चुनाव में ताल ठोकने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है, कहीं उनका स्वागत हो रहा है तो कहीं लोग उन पर पैराशूट प्रत्याशी होने का भी आरोप लगा रहे हैं। यह चुनाव है कोई समर्थन में होता है तो विपक्ष में आरोप और प्रत्यारोप लगते रहते हैं।
मैं भी झंगेरी और विरोड़ का निवासी हमेशा सेवा में रहता-खजान दास
पैराशूट प्रत्याशी वाले आरोप का जवाब देते हुए खजान दास ने कहा कि वे झंगेरी गांव और विरोड़ गांव के निवासी हैं और जौनपुर के लोगों ने ही आज उन्हें यह पहचान दिलाई है वे आज जो भी हैं बिष्टौंसी जिला पंचायत की बदोलत हैं क्योंकि यहां से जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद वे इस पद तक पहुंचे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे हमेशा यहां की जनता के ऋणी रहेंगे जिन की बदोलत आज वे राजपुर विधानसभा के विधायक बने हैं। साथ ही उनका कहना है कि उनके बड़े बेटे रमेश दास हमेशा लोगों के बीच और उनकी सेवा में हमेशा रहते हैं और दुख-सुख में वे भी लोगों के बीच आते रहते हैं।
क्या नीरज इस परीक्षा में होगें सफल
नीरज इस परीक्षा में खुद को कहां तक पहुंचाते हैं क्या नीरज परीक्षा में सफल हो पाते हैं यह चुनाव नतीजों में पता चलेगा। लेकिन उनके लिए यह परीक्षा बड़ी कठिन परीक्षा है, क्यों कि राजनीतिक की शुरूआत पंचायत चुनावों से ही होती है। और इसमें पास होने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है जितना छोटा चुनाव उतनी ज्यादा मेहनत।