काफल पाको मैं ना चाखो, और”बेडू पाको बारो मासा नरण काफल पाको चैता मेरी छे ला” यह काहवत और उत्तराखंडी लोकगीत के बारे में जरूर सुना होगा। हर पहाड़ी की जुबान पर रहने वाले इस लोकगीत और कहावत में जिस फल का जिक्र हो रहा है, इस फल का नाम ‘काफल’ है। जो उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्र में पाया जाता है। ये फल बेहद स्वादिष्ट और गुणों से भरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस फल को चखने के बाद स्वाद के दीवाने हो गए। काफल पकने पर एक कहावत है कि काफल पाको मैं ना चाखो अर्थात काफल पके और मैं ना चख पाऊं।
काफल यह फल खाने में खट्टा-मीठा और दिखने में शहतूत की तरह होता है। इसके स्वाद के चर्चे पूरे पहाड़ में होते हैं। यह फल ठंडे इलाके जैसे टिहरी, उत्तरकाशी के इलाकों, नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत में पाया जाता है।
काफल आम फलों की तरह नहीं है। क्योंकि ये पूरे साल नहीं मिलता है। सिर्फ कुछ महीने ही इस फल का स्वाद चख सकते हैं। काफल दुर्लभ फलों की श्रेणी में आता है। यह साल में सिर्फ दो महीने ही मिलता है। इस फल के पेड़ को कहीं भी नहीं लगाया जा सकता। यह पहाड़ों और जंगलों में अपने आप उगते हैं और वहां के लोगों के जीवन में मिठास भर देता है।
टिहरी के जौनपुर में काफल की पैदावर प्रचू मात्रा में होती है मसूरी वन प्रभाग के भद्रीगाड रेंज में काफल की मांग मसूरी और देहरादून शहर में बहुत है, और काफल गांव का नाम काफल फल के कारण पड़ा है, काफल उत्तराखंड की संस्कृति और लोकगीतों में भी रचा-बसा है। काफल गांव, विशेष रूप से नागटिब्बा के पास, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है, जहां होमस्टे और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, काफल गांव में होमस्टे और पर्यटन का विकास स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है।
काफल की पहचान देश-विदेश तक पहुंचे-रमोला
सुभाष रमोला का कहना है की काफल की पहचान देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए उन्होंने काफल गांव की स्थापना की और लोगों को यहां काफल और पहाड़ी फल,सब्जियां और पहाड़ी उत्पादकों के फायदे और जानकारी लोगों तक पहुंचा सके और लोग इसके बारे में बारीकी से जान सके।
काफल गांव पहाड़ी परंपरा mसे बना हुआ है जो पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है, जहां पहाड़ी पर्यटकों को पहाड़ी भोजन परोसा जाता है। साथ ही यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को आस-पास के गांव में ले जाकर जौनपुर की संस्कृति के बारे में और गांव की परंपराओं के बारे में बताया जाता है।
डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन है काफल गांव
यदि आप एक शानदार डेस्टिनेशन वेडिंग की तलाश में हैं, तो आपके लिए काफल गांव बेस्ट जगह है. जहां आप पहाड़ी परंपरा और जौनपुरी रिति-रिवाज से भी शादी करवा सकते हैं। साथ ही प्री वेडिंग शूट के लिए भी प्राइम लोकेशन है। पहाड़ियों के साथ एक रोमांटिक गंतव्य है। काफल गांव अपनी औपनिवेशिक वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए लोकप्रिय है। काफल गांव चारों तरफ सुंदर पहाड़ियों औऱ हरियाली से घिरा एक अनोखा स्थान है, जो डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। सर्दियों में काफल गांव के आसपास बर्फ से ढकी चोटियों के साथ, सर्दियों में एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।